बुधवार, 11 मार्च 2015

Main KHayal Hun Kisi Aur Ka Mujhe Sochta Koi Aur Hai


Main Khayaal Hun Kisi Aur Ka, Mujhe Sonchata Koi Aur Hai
Sar-e-aaiinaa Meraa Aks Hai, Pas-e-aaiinaa Koii Aur Hai

Main Kisii Ke Dast-e-talab Men Hun, To Kisii Ke Harf-e-duaa Men Hun
Main Nasiib Hun Kisii Aur Kaa, Mujhe Maa.ngataa Koii Aur Hai

Kabhii Laut Aayen To Na Puuchhanaa, Sirf Dekhanaa Bade Gaur Se
Jinhen Raaste Men Khabar Huii Ki Ye Raastaa Koii Aur Hai

Ajab Aitabaar-ba-aitabaarii Ke Daramiyaa.n Hai Zindagii
Main Kariib Hun Kisii Aur Ke, Mujhe Jaanataa Koii Aur Hai

Vahii Munsifon Kii Rivaayaten, Vahii Faisalon Ki Ibaaraten
Meraa Jurm To Koii Aur Thaa, Par Merii Sazaa Koii Aur Hai

Terii Roshanii Merii Khaddo-khaal Se Mukhtalif To Nahin Magar
Tuu Qariib Aa Tujhe Dekh Luun, Tuu Vahii Hai Yaa Koii Aur Hai

Album: Echoes (1986)
By: Chitra Singh and Jagjit Singh 
Lyrics:Nida Fazli
मैं ख़्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है,
सरे-आईना मेरा अक्स है, पशे-आईना कोई और है।

मैं किसी की दस्ते-तलब में हूँ तो किसी की हर्फ़े-दुआ में हूँ,
मैं नसीब हूँ किसी और का, मुझे माँगता कोई और है।

अजब ऐतबार-ओ-बेऐतबारी के दरम्यान है ज़िंदगी,
मैं क़रीब हूँ किसी और के, मुझे जानता कोई और है।

तेरी रोशनी मेरे खद्दो-खाल से मुख्तलिफ़ तो नहीं मगर,
तू क़रीब आ तुझे देख लूँ, तू वही है या कोई और है।

तुझे दुश्मनों की खबर न थी, मुझे दोस्तों का पता नहीं,
तेरी दास्तां कोई और थी, मेरा वाक्या कोई और है।

वही मुंसिफ़ों की रवायतें, वहीं फैसलों की इबारतें,
मेरा जुर्म तो कोई और था,पर मेरी सजा कोई और है।

कभी लौट आएँ तो पूछना नहीं, देखना उन्हें गौर से,
जिन्हें रास्ते में खबर हुईं,कि ये रास्ता कोई और है।

जो मेरी रियाज़त-ए-नीम-शब को ’सलीम’ सुबह न मिल सकी,
तो फिर इसके मानी तो ये हुए कि यहाँ खुदा कोई और है।
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