मंगलवार, 5 जुलाई 2016

Kabhi To Khul Ke Baras Ab Ke Meherbaan Ki Tarah



Kabhi To Khul Ke Baras Ab Ke Meherbaan Ki Tarah,
Mera Wazood Hai Jalte Huye Makan Kee Tarah

Main Ik Khwaab Sahee Aapki Amaanat Hoon,
Mujhe Sambhaal Ke Rakhiyegaa Jism-o-jaan Ki Tarah

Kabhi To Soch Ke Wo Saksh Kis Kadar Tha Buland,
Jo Bichh Gaya Tere Kadmon Mein Aasmaan Ki Tarah

Bula Rahaa Hai Mujhe Fir Kisi Badan Ka Basanth,
Guzar Na Jaaye Ye Ruth Bhi Kahin Khizaan Ki Tarah
Album: FAVORITS
Music: Jagjit Singh
Singers: Chitra Singh
Poet: Prem Warbartani
कभी तो खुल के बरस अब्र-ए-मेहरबाँ की तरह
मेरा वजूद है जलते हुए मकाँ की तरह

भरी बहार का सीना है ज़ख़्म ज़ख़्म मगर
सबा ने गाये हैं लोरी शफ़ीक़ मन की तरह

वो कौन था जो बरहना बदन चट्टानों से
लिपट गया था कभी बह्र-ए-बेकराँ की तरह

सकूत-ए-दिल तो जज़ीरा है बर्फ़ का लेकिन
तेरा ख़ुलूस है सूरज के सायेबाँ की तरह

मैं इक ख़्वाब सही आप की अमानत हूँ
मुझे सँभाल के रखियेगा जिस्म-ओ-जाँ की तरह

कभी तो सोच के वो शख़्स किस क़दर था बुलंद
जो बिछ गया तेरे क़द्मों में आस्माँ की तरह

बुला रहा है मुझे फिर किसी बदन का बसंत
गुज़र न जाये ये रुत भी कहीं ख़िज़ाँ की तरह

लहू है निस्फ़ सदी का जिस के आबगीने में
न देख "प्रेम" उसे चश्म-ए-अर्ग़वाँ की तरह
एल्बम: फेवरिट्स
गायक: चित्रा सिंह
संगीत: जगजीत सिंह
शायर: प्रेम वरबरतानी
Watch/Listen on youtube:
Pictorial Presentation:

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें