गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

Dil Hi To Hai Na Sang-o-khisht Dard Se Bhar Na Aaye Kyun



Dil Hee To Hai Na Sang-o-khisht Dard Se Bhar Na Aaye Kyon?
Royenge Ham Hazaar Baar, Koee Hamein Sataaye Kyon?

Qaid-e-hayaat-o-band-e-gham Asl Mein Dono Ek Hain
Maut Se Pehle Aadmee Gham Se Nijaat Paaye Kyon?

Haan Wo Naheen Khuda_parast, Jaao Wo Be_wafa Sahee
Jisko Ho Deen-o-dil 'azeez, Uskee Galee Mein Jaaye Kyon?

'Ghalib'-e-khasta Ke Baghair Kaun Se Kaam Band Hain?
Roiye Zaar-zaar Kya, Keejiye Haay-haay Kyon?
Album: Mirza Ghalib
Singers: Jagjit Singh
Lyricist: Mirza Ghalib
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ;
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ?

दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं;
बैठे हैं रहगुज़र पे हम ग़ैर हमें उठाए क्यूँ?

जब वो जमाल-ए-दिल-फ़रोज़ सूरत-ए-मेहर-ए-नीमरोज़;
आप ही हो नज़्ज़ारा-सोज़ पर्दे में मुँह छुपाए क्यूँ?

दश्ना-ए-ग़म्ज़ा जाँ-सिताँ नावक-ए-नाज़ बे-पनाह;
तेरा ही अक्स-ए-रुख़ सही सामने तेरे आए क्यूँ?

क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं;
मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ?

हुस्न और उस पे हुस्न-ए-ज़न रह गई बुल-हवस की शर्म;
अपने पे ए'तिमाद है ग़ैर को आज़माए क्यूँ?

वाँ वो ग़ुरूर-ए-इज्ज़-ओ-नाज़ याँ ये हिजाब-ए-पास-ए-वज़अ;
राह में हम मिलें कहाँ बज़्म में वो बुलाए क्यूँ?

हाँ वो नहीं ख़ुदा-परस्त जाओ वो बेवफ़ा सही;
जिस को हो दीन ओ दिल अज़ीज़ उस की गली में जाए क्यूँ?

'ग़ालिब'-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बंद हैं;
रोइए ज़ार ज़ार क्या कीजिए हाए हाए क्यूँ ?
एल्बम: मिर्ज़ा ग़ालिब
गायक: जगजीत सिंह
शायर: मिर्ज़ा ग़ालिब
Watch/Listen on youtube:
By – Jagjit Singh
By- Abida Parveen

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